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बिहार ज़मीन सर्वे बड़ी खबर: अब एक साल और बढ़ा सर्वे का काम

Bihar Jamin Survey Last Date extended
Posted on January 1, 2025January 1, 2025 by Abhishek Jha
Tagged GPS, ऑनलाइन शिकायत समाधान, ग्रामीण इलाकों में सर्वे, डिजिटल भूमि रिकॉर्ड, ड्रोन तकनीक, नीतीश कुमार, प्रशासनिक चुनौतियाँ, बिहार की ज़मीन समस्याएं, बिहार ज़मीन सर्वे, बिहार ज़मीन सर्वे अंतिम तिथि, बिहार भूमि सर्वेक्षण, बिहार भूमि सर्वेक्षण 2026, बिहार सरकार, भूमि के डिजिटल नक्शे, भूमि के नक्शे, भूमि विवाद, सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन, सर्वेक्षण तिथि बढ़ी

बिहार राज्य में भूमि सर्वेक्षण का कार्य अब अगले एक साल तक बढ़ा दिया गया है। यह एक महत्वपूर्ण और दिलचस्प खबर है जो राज्य के लाखों नागरिकों से जुड़ी हुई है। बिहार सरकार ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में यह महत्वपूर्ण कदम उठाया है ताकि सभी गांवों के भूमि रिकॉर्ड सही और सटीक रूप से तैयार किए जा सकें। यह सर्वेक्षण अब 2026 तक पूरा होगा और यह निर्णय उन क्षेत्रों के लिए लिया गया है जहाँ सर्वेक्षण का कार्य अभी तक पूरा नहीं हो सका था।

Table of Contents

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  • सर्वेक्षण की शुरुआत और विकास
  • बिहार ज़मीन सर्वे की नई तिथि और कारण
  • सर्वेक्षण प्रक्रिया में उपयोग की जाने वाली आधुनिक तकनीक
  • कृषि और सरकारी योजनाओं में लाभ
  • सर्वेक्षण के दौरान आने वाली प्रमुख चुनौतियाँ
    • 1. तकनीकी चुनौतियाँ
    • 2. प्रशासनिक समस्याएँ
  • बड़े शहरों में सर्वेक्षण की शुरुआत
  • ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से जुड़ी प्रक्रिया
    • ऑनलाइन शिकायत समाधान पोर्टल
    • डिजिटल भूमि रिकॉर्ड
  • सर्वेक्षण से जुड़े अन्य तथ्य
  • निष्कर्ष

सर्वेक्षण की शुरुआत और विकास

बिहार राज्य में जमीन सर्वेक्षण की प्रक्रिया 2012 में शुरू हुई थी। इसका उद्देश्य राज्य के 37,384 गांवों की भूमि का डिजिटल और सटीक नक्शा तैयार करना था। इस परियोजना के तहत अब तक 12,093 गांवों का सर्वेक्षण पूरा किया जा चुका है, लेकिन अभी भी 5,657 गांवों में सर्वेक्षण कार्य अधूरा है। इस प्रगति को देखते हुए सरकार ने सर्वेक्षण की अंतिम तिथि बढ़ा दी है, ताकि हर गांव का सर्वेक्षण ठीक से हो सके।

हालांकि इस सर्वेक्षण में कई बाधाएँ आई हैं, जैसे तकनीकी समस्याएँ, प्रशासनिक चुनौतियाँ, और प्राकृतिक आपदाएँ, फिर भी इस परियोजना को डिजिटलीकरण और कानूनी रिकॉर्ड अद्यतन के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

बिहार ज़मीन सर्वे की नई तिथि और कारण

सर्वेक्षण कार्य को पहले 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य था, लेकिन अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में इसे 2026 तक बढ़ा दिया गया है। इस निर्णय का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि सभी गांवों के भूमि रिकॉर्ड सही तरीके से तैयार किए जाएं और किसी भी प्रकार की गलती या त्रुटि से बचा जा सके।

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आधिकारिक बयान के अनुसार, सर्वेक्षण का विस्तार इसलिए किया गया ताकि जमीनी स्तर पर कोई भी शेष गांव बिना सर्वेक्षण के न रहे। इसका उद्देश्य भूमि विवादों को कम करना और सरकारी योजनाओं का सही ढंग से क्रियान्वयन करना है।

सर्वेक्षण प्रक्रिया में उपयोग की जाने वाली आधुनिक तकनीक

इस जमीन सर्वेक्षण में डिजिटल तकनीकों का व्यापक उपयोग किया जा रहा है। आधुनिक तकनीकों जैसे ड्रोन, GPS और GIS का उपयोग सर्वेक्षण में तेजी लाने और सटीकता बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। इन तकनीकों से सर्वेक्षण के परिणाम पहले से कहीं अधिक सटीक और समयबद्ध होंगे।

प्रशिक्षित टीमों की तैनाती: सर्वेक्षण कार्य के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित टीमों को ग्रामीण इलाकों में भेजा जा रहा है। ये टीम स्थानीय प्रशासन से भी सहयोग प्राप्त कर रही हैं, जिससे कार्य को सही दिशा में अंजाम दिया जा सके।

कृषि और सरकारी योजनाओं में लाभ

बिहार के भूमि सर्वेक्षण से होने वाले लाभों को भी नकारा नहीं जा सकता है। इसका सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि भूमि विवादों का समाधान जल्दी हो सकेगा। एक बार जब सभी भूमि के डिजिटल रिकॉर्ड तैयार हो जाएंगे, तो जमीन के मालिकों के बीच के विवादों को हल करने में आसानी होगी।

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इसके अलावा, सरकारी योजनाओं का सही ढंग से क्रियान्वयन भी सुनिश्चित होगा। जिन योजनाओं को भूमि मालिकों के सही रिकॉर्ड की आवश्यकता होती है, उन योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू किया जा सकेगा।

सर्वेक्षण के दौरान आने वाली प्रमुख चुनौतियाँ

इस परियोजना के दौरान कई प्रमुख चुनौतियाँ भी सामने आई हैं, जिनका समाधान सरकार को करने की आवश्यकता है:

1. तकनीकी चुनौतियाँ

सर्वेक्षण में इस्तेमाल की जा रही अत्याधुनिक तकनीकों को लागू करने में कई कठिनाइयाँ आ रही हैं। खासकर, दूरदराज के इलाकों में सर्वेक्षण करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, क्योंकि वहां तक उपकरणों की पहुँच आसान नहीं है।

2. प्रशासनिक समस्याएँ

कई जिलों में प्रशासनिक ढांचा कमजोर होने के कारण सर्वेक्षण कार्य में देरी हो रही है। सरकार ने इस पर ध्यान देने की बात की है, ताकि कार्य को तेज़ी से पूरा किया जा सके।

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बड़े शहरों में सर्वेक्षण की शुरुआत

अब तक इस सर्वेक्षण का ध्यान मुख्य रूप से ग्रामीण इलाकों पर था, लेकिन इस बार सरकार ने बड़े शहरों जैसे पटना, गया, मुजफ्फरपुर में भी सर्वेक्षण शुरू करने का निर्णय लिया है। इन शहरी इलाकों में भूमि के सटीक रिकॉर्ड तैयार करने से भूमि विवादों में कमी आएगी और वहां की भूमि समस्याओं का समाधान हो सकेगा।

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से जुड़ी प्रक्रिया

सर्वेक्षण प्रक्रिया को अब ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से भी जोड़ा गया है। इस कदम से नागरिकों को ऑनलाइन शिकायतें दर्ज करने में आसानी होगी। इसके अलावा, जब सर्वेक्षण कार्य पूरा हो जाएगा, तो डिजिटल नक्शे भी उपलब्ध कराए जाएंगे।

ऑनलाइन शिकायत समाधान पोर्टल

राज्य सरकार ने एक विशेष पोर्टल तैयार किया है, जिससे नागरिक अपनी भूमि संबंधित शिकायतों को ऑनलाइन दर्ज करा सकते हैं। यह पोर्टल नागरिकों को अपनी समस्याओं को त्वरित समाधान देने में मदद करेगा।

डिजिटल भूमि रिकॉर्ड

सर्वेक्षण कार्य पूरा होने के बाद सभी भूमि रिकॉर्ड और नक्शे डिजिटल रूप में उपलब्ध कराए जाएंगे, जिससे लोगों को भूमि संबंधी जानकारी प्राप्त करना आसान हो जाएगा।

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सर्वेक्षण से जुड़े अन्य तथ्य

अब तक, बिहार राज्य में 4.34 करोड़ भूमि रिकॉर्ड डिजिटल किए जा चुके हैं, और 10.03 करोड़ से अधिक भूमि के नक्शे तैयार किए जा रहे हैं। इस कार्य में 458 प्रशिक्षित अधिकारियों की टीम लगी हुई है, जो राज्य भर में इस कार्य को सुचारु रूप से चला रही है।

निष्कर्ष

बिहार सरकार द्वारा ज़मीन सर्वेक्षण के लिए बढ़ाई गई समय सीमा एक बड़ा कदम है, जो भूमि विवादों को कम करने, कानूनी रिकॉर्ड को अद्यतन करने, और सरकारी योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन में सहायक साबित होगा। इस परियोजना का सटीक और समयबद्ध तरीके से कार्यान्वयन राज्य के विकास में अहम योगदान देगा।

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